Motivational story in hindi || कहानी "पत्थर की मूर्ति" || story in hindi

 Motivational story 

Hindi kahaniyan| हिंदी कहानियां



  •  "पत्थर की मूर्ति"
  • "मेहनत का फल"
  • "असली ताकत"
  • "सपनों का पीछा करने वाला लकड़हारा
  • "कोशिश करने वालों की हार नहीं होती"

Inspiring stories in hindi 

 "पत्थर की मूर्ति" pathar ki murti



किसी गाँव में एक मूर्तिकार रहता था, जो पत्थरों से बेहद खूबसूरत मूर्तियाँ बनाता था। लेकिन वह हमेशा अपने काम से असंतुष्ट रहता और सोचता कि उसका हुनर दुनिया के बाकी कलाकारों से कम है। इस वजह से वह उदास और निराश रहता था।


एक दिन गाँव का राजा उस मूर्तिकार के पास आया और कहा, "मैं अपने महल के लिए भगवान की एक सुंदर मूर्ति बनवाना चाहता हूँ। तुम्हें इस काम में पूरा समय और सामग्री दी जाएगी। लेकिन याद रखना, यह मूर्ति अद्वितीय होनी चाहिए।"


मूर्तिकार ने यह काम स्वीकार किया और बड़े उत्साह से काम शुरू किया। उसने सबसे सुंदर पत्थर चुना और दिन-रात मेहनत करके एक अद्भुत मूर्ति बनाई। कई हफ्तों की मेहनत के बाद जब मूर्ति तैयार हुई, तो वह खुद उसकी सुंदरता देखकर दंग रह गया। उसने सोचा, "यह अब तक का मेरा सबसे अच्छा काम है। राजा को यह मूर्ति जरूर पसंद आएगी।"


जब मूर्तिकार मूर्ति राजा को दिखाने ले गया, तो राजा बहुत खुश हुआ। उसने कहा, "यह मूर्ति वास्तव में शानदार है। यह तुम्हारे हुनर का प्रमाण है। मुझे गर्व है कि हमारे राज्य में तुम्हारे जैसा कलाकार है।"


मूर्तिकार ने राजा से कहा, "मुझे भी इस मूर्ति को देखकर विश्वास नहीं हो रहा कि मैंने इसे बनाया है। यह तो मेरे सोच से भी बेहतर है।"


तभी पास खड़े एक वृद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह मूर्ति हमेशा से इस पत्थर के भीतर थी। तुम्हारी मेहनत और विश्वास ने इसे बाहर निकाला।"


मूर्तिकार को समझ आया कि हर व्यक्ति के अंदर कुछ खास छिपा होता है। बस जरूरत होती है खुद पर भरोसा करने और अपनी मेहनत से उसे बाहर लाने की।


शिक्षा:

हर इंसान के अंदर हुनर और ताकत छिपी होती है। जब हम खुद पर विश्वास करते हैं और मेहनत करते हैं, तो असंभव को भी संभव बना सकते हैं।




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"मेहनत का फल" || mahnat ka fal




एक गाँव में रामु नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था। लेकिन उसकी गरीबी उसे हमेशा चिंता में डालती थी। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी, जिस पर वह रोज मेहनत करता था, फिर भी फसल अच्छी नहीं होती थी।


एक दिन, वह निराश होकर पास के जंगल में चला गया। वहां उसने एक साधु को तपस्या करते देखा। रामु ने साधु से अपनी परेशानी बताई। साधु ने उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा, "बेटा, मेहनत करो और धैर्य रखो। पर एक बात याद रखना, किसी भी काम को पूरे दिल से और सही तरीके से करना।" यह कहकर साधु ने रामु को एक छोटी सी चमकती हुई मणि दी और कहा, "यह तुम्हें मेहनत का असली महत्व समझाएगी। इसे संभालकर रखना।"


रामु ने मणि को अपनी जेब में रखा और घर लौट आया। अगले दिन से उसने खेत में मेहनत करना शुरू किया। लेकिन इस बार वह साधु की बात को ध्यान में रखकर काम कर रहा था। उसने अपनी जमीन की सही देखभाल की, पौधों को समय पर पानी दिया और मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया।


कुछ महीने बाद, उसकी फसल पहले से भी ज्यादा हरी-भरी और सुंदर लगने लगी। फसल इतनी अच्छी हुई कि वह बाजार में उसे अच्छे दामों पर बेच सका। धीरे-धीरे उसकी गरीबी दूर हो गई, और वह गाँव का सबसे खुशहाल किसान बन गया।


रामु को समझ आ गया कि सफलता का असली राज मेहनत, धैर्य और सही तरीके से काम करने में है। उसने वह मणि दोबारा देखी, तो पाया कि वह साधारण पत्थर थी। असली "मणि" तो उसका विश्वास और कड़ी मेहनत थी, जिसने उसकी किस्मत बदल दी।


शिक्षा:

धैर्य और मेहनत से बड़ी से बड़ी मुश्किलों को भी पार किया जा सकता है। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता।











"असली ताकत" – एक राजकुमार की कहानी || "Asli taqat "



बहुत समय पहले की बात है, एक बड़े और समृद्ध राज्य का राजा अपने बेटे को एक महान योद्धा और अच्छा शासक बनाना चाहता था। उसने अपने बेटे, राजकुमार, को हर प्रकार की शिक्षा दी – तीरंदाजी, तलवारबाजी, राजनीति, और प्रशासन।


जब राजकुमार 20 साल का हुआ, तो राजा ने उसे एक खास परीक्षा लेने का निर्णय किया। उसने राजकुमार को बुलाया और कहा,

"अगर तुम राजा बनना चाहते हो, तो तुम्हें यह साबित करना होगा कि तुम किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हो। तुम्हारी परीक्षा है कि तुम जंगल में जाओ और असली ताकत को पहचानो।"


राजकुमार कुछ समझ नहीं पाया, लेकिन वह तैयार था। उसने अपना धनुष, तलवार और कुछ भोजन लिया और जंगल की ओर निकल पड़ा।


पहला दिन: शारीरिक ताकत

जंगल में चलते हुए उसने देखा कि एक बड़ा हाथी रास्ता रोक कर खड़ा है। राजकुमार ने सोचा कि ताकत का मतलब केवल शारीरिक शक्ति है। उसने अपने धनुष से हाथी पर वार किया। हाथी डरकर भाग गया।

"शायद ताकत यही है – दूसरों को हराना," उसने सोचा।


दूसरा दिन: साहस

अगले दिन, राजकुमार एक खतरनाक नदी के किनारे पहुंचा। नदी में तेज बहाव था और मगरमच्छ भी थे। लेकिन राजकुमार ने बिना डरे नदी पार की।

"शायद ताकत का मतलब साहस है," उसने खुद से कहा।


तीसरा दिन: धैर्य

तीसरे दिन, राजकुमार को भूख और प्यास लगी। उसने जंगल में फल ढूंढने की कोशिश की, लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। उसने सोचा कि हार मान लेना आसान है, लेकिन उसने धैर्य रखा। कुछ देर बाद उसे एक झरना और फल मिले।

"ताकत का मतलब धैर्य भी हो सकता है," उसने सोचा।


असली ताकत का सबक

तीन दिन बाद, वह वापस महल लौट आया और राजा को अपनी सारी कहानियां सुनाई। उसने कहा,

"पिता जी, मैंने सीखा कि ताकत का मतलब शारीरिक शक्ति, साहस और धैर्य है।"


राजा मुस्कुराए और बोले,

"तुमने बहुत कुछ सीखा, लेकिन असली ताकत इन सबसे बढ़कर है। असली ताकत यह है कि तुम अपनी बुद्धि और दिल से दूसरों की मदद करो। शारीरिक शक्ति और साहस तुम्हें लड़ाई जिताएंगे, लेकिन दयालुता और समझदारी तुम्हें लोगों का दिल जिताएगी।"


राजकुमार ने उस दिन सीखा कि एक सच्चा राजा वही होता है जो अपनी ताकत दूसरों के भले के लिए इस्तेमाल करे। वह आगे चलकर एक महान शासक बना।


शिक्षा:

 असली ताकत शारीरिक शक्ति या साहस में नहीं, बल्कि बुद्धिमानी, धैर्य और दूसरों की भलाई करने की भावना में है।








"कोशिश करने वालों की हार नहीं होती" || "kosis krne walo ki haar nahi hoti"




बहुत समय पहले की बात है, एक छोटा गांव था, जहां एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। किसान बहुत मेहनती था, लेकिन उसकी खेती हर साल असफल हो जाती। कभी बारिश ज्यादा हो जाती, कभी सूखा पड़ जाता। लेकिन किसान ने कभी हार नहीं मानी।


एक बार की बात है, किसान ने अपने खेत में एक गहरी नहर खोदने का फैसला किया ताकि पानी की समस्या का हल निकल सके। उसने रोज सुबह जल्दी उठकर नहर खोदना शुरू किया। गांव के लोग उसे देखकर हंसते और कहते,

"तुम पागल हो गए हो। इतनी मेहनत करने का कोई फायदा नहीं है। यह नहर कभी पूरी नहीं होगी।"


लेकिन किसान ने किसी की बातों पर ध्यान नहीं दिया। वह रोज थोड़ा-थोड़ा नहर खोदता रहा। दिन, हफ्ते और महीने बीत गए।


संघर्ष का परिणाम

कई महीनों की मेहनत के बाद, किसान ने नहर को पूरा कर लिया। जैसे ही उसने अंतिम हिस्सा पूरा किया, नदी का पानी नहर में बहने लगा और उसके खेतों तक पहुंच गया। अब उसके खेत हरे-भरे हो गए, फसलें लहलहाने लगीं।


गांव के लोग, जो पहले उसका मजाक उड़ाते थे, अब उसकी तारीफ करने लगे। उन्होंने कहा,

"तुम्हारी मेहनत और लगन ने हमें सिखाया कि अगर कोई इंसान सच्चे मन से मेहनत करे, तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है।"


शिक्षा:

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

कठिन परिश्रम और धैर्य से बड़े से बड़ा लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है।

दूसरों की बातों की परवाह किए बिना, अपने सपनों को पूरा करने के लिए जुटे रहना चाहिए।

यह कहानी हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी अगर हम निरंतर प्रयास करें, तो सफलता निश्चित है।







"सपनों का पीछा करने वाला लकड़हारा" "sapno ka picha krne vala lakadhara "




एक छोटे से गांव में रामू नाम का एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह दिनभर जंगल से लकड़ियां काटता और उन्हें बाजार में बेचता था। वह मेहनती था, लेकिन उसकी हालत हमेशा गरीब ही रही। रामू को अक्सर लगता कि उसकी किस्मत खराब है और वह कभी अपने हालात नहीं बदल पाएगा।


एक दिन का अद्भुत अनुभव

एक दिन रामू जंगल में लकड़ियां काट रहा था। अचानक उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। रामू बहुत परेशान हो गया क्योंकि वह कुल्हाड़ी उसकी आजीविका का एकमात्र साधन थी। वह नदी के पास बैठकर रोने लगा।


तभी नदी से एक देवता प्रकट हुए। उन्होंने रामू से पूछा,

"तुम क्यों रो रहे हो?"

रामू ने पूरी बात बताई।


देवता ने उसे दिलासा दिया और कहा,

"मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढकर लाऊंगा।"

देवता नदी में गए और सोने की कुल्हाड़ी लेकर आए। उन्होंने रामू से पूछा,

"क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?"

रामू ने ईमानदारी से जवाब दिया,

"नहीं, यह मेरी नहीं है।"


फिर देवता ने चांदी की कुल्हाड़ी निकालकर पूछा,

"क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?"

रामू ने फिर कहा,

"नहीं, यह भी मेरी नहीं है।"


अंत में देवता ने लोहे की कुल्हाड़ी निकालकर पूछा,

"क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?"

रामू ने खुशी-खुशी कहा,

"हां, यह मेरी कुल्हाड़ी है।"


ईमानदारी का पुरस्कार

रामू की ईमानदारी से प्रसन्न होकर देवता ने उसे तीनों कुल्हाड़ियां (सोने, चांदी और लोहे की) उपहार में दे दीं। अब रामू अमीर हो गया और उसकी जिंदगी बदल गई।


रामू का नया जीवन

रामू ने उस धन का उपयोग गांव में स्कूल और कुएं बनाने में किया ताकि बाकी लोग भी लाभ उठा सकें। उसने कभी अपनी मेहनत और ईमानदारी का साथ नहीं छोड़ा।


शिक्षा:

ईमानदारी सबसे बड़ा गुण है।

कठिन परिश्रम और सही सोच से परिस्थितियां बदली जा सकती हैं।

दूसरों की मदद करना ही सच्चा धन है।


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